व्यवहार की भाषा ही देश की भाषा हो . . .

(अशोक ‘प्रवृद्ध’) समाज की भाषा, नित्यप्रति के व्यवहार का माध्यम तो अपने-अपने देश की भाषा ही होनी चाहिये और होगी और अपने समाज का … Continue reading व्यवहार की भाषा ही देश की भाषा हो . . .